Page 4 - Digital Aarti Sangrah
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४. शंकराची आरती




                                      लवथवती  व ाळा,   हांडी माळा।


                                        वष  कं ठ काळा,   ने ी  वाळा।

                                         लाव य सुंदर, म तक  बाळा।

                                     तेथु नयां जल  नम ळ वाह े झ ळझ ळा।


                            जय देव जय देव, जय  ीशंकरा, हो  वामी शंकरा।

                                                                       ू
                                                ू
                            आरती ओवाळ, भावाथी ओवाळ, तुज कपू रगौरा।
                                               जय देव जय देव॥  ु.





                                       कपू रगौरा भोळा, नयनी  वशाळा।

                                       अधा गी पाव ती, सुमनां या माळा।


                                      वभुतीचे उधळण,  श तकं ठ नीळा।

                                        एसे ा शंकर शोभे, उमा वे हाळा।

                            जय देव जय देव, जय  ीशंकरा, हो  वामी शंकरा।


                                              आरती ओवाळ...॥१॥
                                                                 ू



                                        देवी दै यी सागर, मंथन पै के ले।


                                     यामाजी अव चत, हळाहळ जे उठले।

                                         ते  वा असुरपणे,  ाशन के ले।


                                          नीळकं ठ नाम,   स  झाले।

                            जय देव जय देव, जय  ीशंकरा, हो  वामी शंकरा।

                                                                 ू
                                              आरती ओवाळ...॥२॥




                                         ा ांबर फ णवर, सुंदर मदना।

                                   पंचानन मनमोहन, मु नजन सुखकारी।


                                         श कोटीचे बीज, वाचे उ चारी।

                                        रघुकु ल तलकरामदासा, अंतरी।


                            जय देव जय देव, जय  ीशंकरा, हो  वामी शंकरा।

                                                                 ू
                                              आरती ओवाळ...॥३॥
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