Page 10 - Digital Aarti Sangrah
P. 10
मातला रावण, सव उप व के ला।
तेहतीस कोटी देव, बंदी ह रले सीतेला।
पतृवचनासाठ , राम वनवास के ला।
मळवु न वानरसेना, राजा राम गटला।
आरती स ेम जय जय व ल पर ॥५॥
देवक -वसुदेव, बंदी मोचन वां के ले।
नंदाघरी जाउनी, नजसुख गोकु ळा दले।
गोरचोरी क रतां, नवल गोपाल मळ वले।
गोपीकांचे ेम, पा न ीकृ ण भुलले।
आरती स ेम जय जय व ल पर ॥६॥
बौ क क क लयुगी, अधम हा अवघा।
सोडूनी दधला धम , हणूनी न दससी देवा।
वे ामद न क रशी, हणु न क क चा के शवा।
ब हरी जा वी धावी, नजसुखा-नंदावी सेवा।
आरती स ेम जय जय व ल पर ॥७॥

