Page 17 - Digital Aarti Sangrah
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ाथ ना (घालीन लोटांगण)





                                        घालीन लोटांगण, वंदीन चरण।

                                         डो यांनी पाहीन,  प तुझे ह।े


                                          ेमे आ ल गन, आनंदे पूजीन।

                                       भावे ओवाळ न,  हणे नामा॥१॥





                                           वमेव माता, च  पता  वमेव।

                                            वमेव बंधु , सखा  वमेव।

                                            वमेव  व ा,   वणं  वमेव।


                                           वमेव सव , मम देव देव॥२॥




                                           कायेन वाचा, मनस   यैवा ।


                                       बु या मना, वा  कृ ते:  वभावात्।

                                          करो म य त्, सकलं पर मै।


                                         नारायणाये त, समप या म॥३॥




                                          अ युतं के शवं, राम नारायणं।


                                          कृ  ण दामोदरं, वासुदेवं हरी।

                                         ीधरं माधवं, गो पका व लभं।

                                       जानक  नायकं , रामचं ं भजे॥४॥





                                       हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।


                                  हरे कृ  ण हरे कृ  ण, कृ  ण कृ  ण हरे हरे॥

                                       हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।

                                  हरे कृ  ण हरे कृ  ण, कृ  ण कृ  ण हरे हरे॥
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